किसी स्थान भू आकृति , उसकी संरचना , प्रक्रिया और विकास की अवस्था का परिणाम होती है। साधारण रूप से भारत को निम्नलिखित भू- आकृतिक खंडों में बांटा जा सकता है-
उत्तर तथा उत्तर पूर्वी पर्वत माला :-
- उत्तर तथा उत्तर पूर्वी पर्वतमाला में हिमालय पर्वत और उत्तर - पूर्वी पहाड़ियां शामिल हैं। हिमालय में कई समानांतर पर्वत श्रृंखलाएं हैं।
- भारत के उत्तर -पश्चिमी भाग में हिमालय की ये श्रेणियां उत्तर पश्चिम दिशा से दक्षिण पूर्व दिशा की तरफ फैली हैं। दार्जिलिंग और सिक्किम क्षेत्रों में ये श्रेणियां पूर्व पश्चिम दिशा में फ़ैल जाती हैं जबकि अरुणाचल प्रदेश में ये दक्षिण पश्चिम से उत्तर पश्चिम की तरफ घूम जाती हैं। मिजोरम , नागालैंड और मणिपुर में ये पहाड़ियां उत्तर -दक्षिण दिशा में फैली हैं।
- वृहत हिमालय श्रृंखला , जिसे केंद्रीय अक्षीय श्रेणी भी कहा जाता है , की पूर्व- पश्चिम लम्बाई लगभग 2500 किमी तथा उत्तर से दक्षिण इसकी चौड़ाई 160 से 400 किमी० है।
- हिमालय को निम्नलिखित उपखंडों में विभाजित किया जा सकता है :-
कश्मीर या उत्तरी -पश्चिमी हिमालय :-
- कश्मीर हिमालय में अनेक श्रेणियां हैं जैसे काराकोरम , लद्दाख , जास्कर और पीरपंजाल।
- कश्मीर हिमालय का उत्तरी -पूर्वी भाग , जो वृहत हिमालय और काराकोरम श्रेणियों के बीच स्थित है , एक ठंडा मरुस्थल है।
- वृहत हिमालय और पीर पंजाल के मध्य विश्व प्रसिद्ध कश्मीर घाटी और डल झील है।
- दक्षिण एशिया की महत्वपूर्ण हिमानी नदियां बालटोरो और सियाचिन इसी प्रदेश में हैं।
- कश्मीर हिमालय करवा के लिए प्रसिद्ध है जहाँ जाफरान की खेती की जाती है।
- वृहत हिमालय में जोजिला , पीर पंजाल में बनिहाल , जास्कर में फोटुला और लद्दाख में खर्दुंगला जैसे प्रसिद्ध दर्रे हैं।
- अलवण जल की झीलें -जैसे डल , बुलर तथा लवण झीलें जैसे -पाँगाँग सो और सोमूरीरी भी इसी क्षेत्र में हैं।
- सिंधु तथ इसकी सहायक नदियां झेलम और चिनाब इसी क्षेत्र से बहती हैं।
- जम्मू कश्मीर की राजधानी श्रीनगर झेलम नदी के किनारे है।
- कश्मीर घाटी में झेलम नदी अपने युवावस्था में बहती है तथापि स्थल रूप के विकास में प्रौढ़ावस्था में निर्मित होने वाले विशिष्ट आकृति -विसर्पों का निर्माण करती है।
- कश्मीर घाटी में झेलम नदी का विसर्पी बहाव रोचक लगता है , यह पूर्व में स्थित एक बड़ी झील के कारण है जिसका एक हिस्सा डल झील है।
- प्रदेश के दक्षिण भाग में घाटियां पाई जाती हैं जिन्हें दून कहा जाता है।
हिमाचल और उत्तरांचल हिमालय :-
- हिमालय का यह हिस्सा पश्चिम में रावी नदी और पूर्व में काली (घाघरा की सहायक ) के बीच स्थित है।
- यह भारत में 2 मुख्य नदी तंत्रों , सिंधु और गंगा द्वारा अपवाहित है। इसके अंदर बहने वाली नदियां रावी , व्यास ,सतलुज , यमुना , घाघरा है।
- हिमाचल हिमालय का सुदूर उत्तरी भाग लद्दाख के ठंडे मरुस्थल का विस्तार है।
- हिमालय के तीनों मुख्य श्रृंखलाएं , वृहत हिमालय , लघु हिमालय (जिन्हें हिमाचल में धौलाधार और उत्तरांचल में नागतीभा कहा जाता है ) और उत्तर - दक्षिण दिशा में फैली शिवालिक श्रेणी , इस हिमालय खंड में स्थित हैं।
- लघु हिमालय में 1000 से 2000 मीटर ऊंचाई वाले पर्वत ब्रिटिश प्रशासन के लिए मुख्य आकर्षण केंद्र रहे हैं।
- धर्मशाला , मसूरी ,कसौली ,अल्मोड़ा ,लैंसडाउन , रानीखेत इसी क्षेत्र में हैं।
- इसी क्षेत्र में शिवालिक और दून पाए जाते हैं। जैसे - कालका का दून , नालागढ़ दून ,देहरादून , कोटा दून आदि।
- इनमें देहरादून सबसे बड़ी घाटी है जिसकी लम्बाई 35 से 45 किमी और चौड़ाई 22 से 25 किमी है।
- वृहत हिमालय की घाटियों में भोटिया प्रजाति के लोग रहते हैं। ये खानाबदोश लोग हैं जो गर्मी में बुग्याल (ऊंचाई पर स्थित घास के मैदान ) में चले जाते हैं और ठंडियों में लौट आते हैं।
- प्रसिद्द 'फूलों की घाटी ' भी इसी पर्वतीय क्षेत्र में है।
- गंगोत्री , यमुनोत्री ,केदारनाथ , बद्रीनाथ और हेमकुंड साहिब भी इसी इलाके में हैं।
- इस क्षेत्र में 5 प्रसिद्ध प्रयाग हैं।
- इसके पश्चिम में नेपाल हिमालय और पूर्व में भूटान हिमालय है। यह एक छोटा , परन्तु हिमालय का बहुत महत्वपूर्ण भाग है।
- यहां तेज बहाव वाली तीस्ता नदी बहती है और कंचनजंगा जैसी ऊँची चोटियाँ और गहरी घाटियां पायी जाती हैं।
- इन पर्वतों के ऊँचे शिखरों पर लेपचा जनजाति और दक्षिण भाग में मिश्रित जनसंख्या , जिसमें नेपाली , बंगाली और मध्य भारत की जनजातियां शामिल हैं , पाई जाती हैं।
- बाकी हिमालय से यह क्षेत्र भिन्न है क्यूंकि यहां दुआर स्थलाकृतियां पाई जाती हैं जिनका उपयोग चाय बागान के लिए किया जाता है।
- सिक्किम और दार्जिलिंग हिमालय अपने रमणीय सौंदर्य , वनस्पति जगत और प्राणी जगत तथा आर्किड के लिए जाना जाता है।
अरुणाचल हिमालय :-
- यह पर्वत क्षेत्र भूटान हिमालय से लेकर पूर्व में दिफू दर्रे तक फैला है। इस पर्वत श्रेणी की सामान्य दिशा दक्षिण -पूर्व से उत्तर-पूर्व है।
- इस क्षेत्र की मुख्य चोटियों में काँगतु और नामचा बरवा है। इन पर्वत श्रेणियां के बीच , उत्तर से दक्षिण की दिशा में तेज बहती हुई और गॉर्ज बनाने वाली नदियां बहती हैं।
- नामचा बरवा को पार करने के बाद ब्रह्मपुत्र नदी एक गॉर्ज बनाती है।
- कामेंग , सुबनसरी , दिहांग , दिबांग और लोहित यहां की प्रमुख नदियां हैं। ये बारहमासी नदिया हैं और बहुत से जल प्रपात बनती हैं इसी वजह से यहां जल बिजली उत्पादन की क्षमता अधिक है।
- अरुणाचल हिमालय की विशेषता है कि यहां कई जनजातियां निवास करती हैं। इस क्षेत्र में पश्चिम से पूर्व की तरफ मोनपा ,डाफला , अबोर ,मिश्मी ,निशि व नागा जनजाति निवास करती हैं।
- ये जनजातियां झूम कृषि करती हैं जिसे स्थानांतरी कृषि भी कहा जाता है।
पूर्वी पहाड़ियां और पर्वत :-
- हिमालय के इस भाग में पहाड़ियों की दिशा उत्तर से दक्षिण है।
- उत्तर में ये पटकाई बूम , नागा पहाड़ी , मणिपुर पहाड़ी और दक्षिण में मिज़ो या लुसाई के नाम से जानी जाती हैं ।
- यह एक काम ऊंचाई का पहाड़ी क्षेत्र है जहाँ जनजातीय झूमिंग कृषि करती हैं।
- यहां की अधिकतर पहाड़ियां छोटे बड़े नदी नालों से अलग होती हैं।
- बराक मणिपुर और मिजोरम की मुख्य नदी है।
- मणिपुर घाटी में प्रसिद्ध लोकटक झील है जो की चारो तरफ से पहाड़ियों से घिरी है।
- मिजोरम को 'मोलोसिस बेसिन ' भी कहा जाता है।
- नागालैंड में बहने वाली अधिकतर नदियां ब्रह्मपुत्र की सहायक नदियां हैं।
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